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Logic
अमेरिकी धनिको समेत पूरी दुनिया के धनिक अवाम को हथियार विहीन रखना चाहते है, ताकि बैंको के शोषण और प्रतिगामी करो के चलते पनपते असंतोष को बलवे में बदलने से रोका जा सके। इसीलिए धनिक वर्ग पेड मीडिया को नागरिकों के पास हथियार होने के नकारत्मक पहलुओं को 100 गुना ज्यादा उभारकर दिखाने और सकारात्मक पक्ष को न दिखाने के लिए भुगतान करता है। . सभी दवाइयों के साइड इफेक्ट्स होते है। यदि कोई व्यक्ति दवाइयों के सिर्फ नकारात्मक पहलुओं पर चर्चा करे और उसके सेवन से होने वाले फायदों को छुपा ले तो सभी दवाइया जहर दिखने लगेगी। कोई व्यक्ति उर्वरकों से भी बम बना सकता है। तो क्या उर्वरकों को भी प्रतिबंधित कर दिया जाना चाहिए ? यदि कोई चाहे तो खनन में काम आने वाले विस्फोटकों से किसी शहर को उड़ा सकता है। तो क्या हम खनन में उपयोग किये जा रहे विस्फोटकों को भी बेन करेंगे ? सूची बेहद लम्बी की जा सकती है . नागरिकों को हथियार रखने की अनुमति देने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह आजादी और आत्मनिर्भरता प्रदान करता है !!! जी हाँ , यूरोप में कथित आजादी तब आनी प्रारभ हुयी जब 900 ईस्वी में इस्लामिक आक्रमणों से बचने के लिए राजाओ और पादरियों ने आम नागरिकों को हथियार रखने की छूट देने का निर्णय किया। हालांकि अन्य कारण भी मौजूद थे --- जैसे कि ज्यूरी प्रक्रियाएं, जो कि 950 ईस्वी में शुरू हो चुकी थी। लेकिन यह भी सत्य है की हथियारबंद नागरिक समाज के कारण ही राजा ज्यूरी सिस्टम लागू करने के लिए बाध्य हुआ था। . तब राजा, पादरी और उनके अधिकारी पूरी तरह उद्दण्ड और निरंकुश थे। लेकिन उनके लिए सब कुछ अच्छा चल रहा था, क्योंकि नागरिक समाज हथियार विहीन था। लेकिन इस्लामिक आतताइयों से मुकाबला करने के लिए राजा को ज्यादा से ज्यादा नागरिकों को हथियार रखने के लिए प्रेरित करना पड़ा। और इस तरह नागरिकों ने प्राप्त हथियारों का इस्तेमाल उन अधिकारियों और पादरियों के खिलाफ भी करना शुरू कर दिया जो अवाम के साथ दुर्व्यवहार करते थे। अत: अधिकारियों को नियंत्रित करने के लिए राजा को 950 ईस्वी में कथित कोरोनर ज्यूरी के कानून को लागू करना पड़ा, और इसी कारण बाद में राजा मैग्नाकार्टा पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य हुआ जिससे सभी प्रकार के मुकदमों की सुनवाई का अधिकार नागरिकों की ज्यूरी को देने की व्यवस्था लागू हुयी। और यह सब होने के बाद ही आजादी आयी व औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात हुआ। ये सब घटनाएं न घटती, यदि नागरिकों के पास हथियार नहीं होते। . अब 600 ईस्वी से 1700 ईस्वी तक के भारत और यूरोप की तुलना कीजिए। भारत के राजाओ और महन्तो ने नागरिकों को हथियार रखने की अनुमति देने से इंकार कर दिया, जिससे इस्लामी आक्रमणकारियों ने पहले अफगानिस्तान जीता, फिर पाकिस्तान पर कब्जा किया और अंत में पूरे भारत को ही अपने नियंत्रण में ले लिया। इस परिस्थिति में आंशिक सुधार सिर्फ तब आया जब वीर शिवाजी और गुरु गोविंद सिंह जी ने नागरिकों को हथियारबंद करना आरम्भ किया। असल में गुरु गोविंद सिंह जी ने इस क्षेत्र में शिवाजी से भी बेहतर काम किया, क्योंकि उन्होंने हथियार रखने को एक धार्मिक कर्तव्य में तब्दील कर दिया था। और इसीलिए सिक्ख, मराठाओ की तुलना में, इस्लामी आतताइयों का ज्यादा बेहतर ढंग से प्रतिरोध कर सके। यदि वीर शिवाजी और गुरु गोविंद सिंह जी ने नागरिकों को हथियार बंद नहीं किया होता तो 1700 ईस्वी में पूरे भारत पर मुगलो का पूर्ण नियंत्रण हो चुका होता। . दूसरे शब्दों में 900 ईस्वी में यदि नागरिक हथियार विहीन रहे होते तो इस्लामिक आक्रमणकारी "पूरे यूरोप" पर कब्जा कर लेते। नागरिकों के पास हथियार होना ही एक मात्र कारण था जिसके चलते यूरोप इस्लामिक आक्रमणकारियों द्वारा अधिग्रहित होने से बच सका। . यह कहने की बात नहीं है कि, पेड इतिहासकार, पेड राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर आदि ने इतिहास के छात्रों को यह जानकारी कभी नहीं दी, और न ही वे ये सूचना कभी नागरिकों को देंगे। क्यों ? क्योंकि धनिक वर्ग उनसे यह सब न बताने को कहता आया है। . अमेरिका तथा पूरी दुनिया के धनिक पूरी दुनिया के आम नागरिकों का उत्पीड़न कर प्रतिगामी करो के माध्यम से उनके हक के खनिज, सरकारी भूमि आदि पर नियंत्रण बनाए रखना चाहते है। और अब शोषण के लिए उनके पास नया हथियार है -- बैंक। ऐसे तरीकों का प्रयोग करने से हमेशा ही नागरिक विद्रोह व बलवे का खतरा बना रहता है ( कृपया "Whiskey Rebellion in USA" पर गूगल करे। इस प्रकरण में नागरिकों ने दर्जनों कर अधिकारियों को मार दिया था, क्योंकि वे शराब पर प्रतिगामी उत्पाद शुल्क वसूलने की कोशिश में थे )। हथियार युक्त नागरिक धनिक वर्ग को पीछे हटने पर मजबूर कर देते है। और ईसीलिए अमेरिकी धनिक वहां के निवासियों को हथियार विहीन करना चाहते है। . सभी पेड मीडियाकर्मी धनिक वर्ग के पालतू कुत्ते है। धनिक वर्ग इनके आगे बोटियाँ डालता है और मीडिया कर्मी इनके आदेशों का पालन करते है। यही स्थिति पेड इतिहासकारो, पेड राजीनीति शास्त्रियों आदि की है। ये सभी धनिक वर्ग के सहारे है इसीलिए नागरिकों को हथियारों के सिर्फ नकारात्मक पहलुओं की जानकारी देते है तथा सकारात्मक पक्ष पर खामोशी बनाए रखते है। साथ ही वे यह भी सुनिश्चित करते है कि नकारात्मक पहलुओं को 100 गुना बढ़ाकर दिखाया जाए। . यहां तक कि आज भी अमेरिका के नागरिकों के पास बन्दुके होने से हजारो नागरिकों की जान बचती है। क्योंकि नागरिकों के पास हथियार होने से अपराधी उनसे दूरी बनाए रखते है। लेकिन पेड मीडिया इस बारे में कभी चर्चा नहीं करता कि नागरिकों के पास बन्दुके होने से हर साल कितने नागरिकों की जान बचाई जा सकी है। . जहां तक हाल ही में एक अफगानी द्वारा 50 समलैंगिकों की हत्या का मामला है --- इस हत्याकांड की असली वजह बन्दूको का होना नहीं है, बल्कि इसकी जड़ में वह नीति है जिसके तहत अमेरिका/ब्रिटेन उनके देशों में पाकिस्तानी, अफगानिस्तानी आप्रवासियों को प्रवेश दे रहे है। अमेरिका में भारत के लाखो आप्रवासी है, जो समलैंगिकों को नापसंद करते है। लेकिन उनमे से कितने भारतीय उन पर गोलियां बरसायेंगे ? एक भी नहीं !! वे उनसे दूरी बना लेंगे। दूसरे शब्दों में समस्या पाकिस्तान, अफगानिस्तान से आ रहे आप्रवासी है, न कि बन्दुके। इसके अलावा इस्लामिक प्रवृति भी एक कारण है -- लेकिन भारत में ऐसा नहीं है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान में ऐसी प्रवृति के लोग इफरात में पाए जाते है, जो इस सिद्धांत में मानते है कि, "मैं उन लोगो को मार दूंगा, जो मुझे पसंद नहीं है"। उनके दिमाग में यह बात घुसती ही नहीं है कि, यदि तुम्हे कोई व्यक्ति पसंद नहीं है तो मारने की जगह उससे दूरी बना लो। . जो ये कहते है कि, "बन्दूको पर प्रतिबंध लगा दो, क्योंकि एक आदमी ने 50 व्यक्तियों की हत्या कर दी है", वे अवश्य ही यह भी कहेंगे कि, "सभी व्यक्तियों के हाथ काट दो, क्योंकि लोग अपनी बीवियों को पीटते है" !!! वे इस प्रकार की गफलत इसीलिए खड़ी कर पाते है क्योंकि पेड मीडिया तस्वीर का सिर्फ एक रूख ही नागरिकों के सामने रखता है, ताकि अवाम को हथियार विहीन रखा जा सके।
समाधान ?
अमेरिका के कार्यकर्ताओ को अपने देश की समस्या का समाधान स्वंय ढूढ़ना चाहिए। . जहां तक भारत की बात है, मैं सभी कार्यकर्ताओ से आग्रह करूंगा कि वे कांग्रेस/बीजेपी/आप/संघ और भारत स्वाभिमान ट्रस्ट के कार्यकर्ताओ का विरोध करें, क्योंकि ये सभी लोग भारत के नागरिकों को हथियार रखने की अनुमति देने का विरोध कर रहे है !!! हाँ, संघ के सभी कार्यकर्ताओ ने भारतीयों को हथियारबंद करने के प्रस्ताव का विरोध किया है। संघ आज से नहीं बल्कि अंग्रेजो के जमाने से ही नागरिकों को हथियार देने का कट्टर विरोधी रहा है। उनका मानना है कि हथियारों की जगह भारतीयों को लाठी चलाने का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। वाजपेयी और मोदी साहेब ने भी भारतीयों को बंदूक चलाने का प्रशिक्षण देने का कानून पास करने से मना कर दिया। रूस और चीन के कम्युनिस्टों ने नागरिकों को बंदूक चलाने का प्रशिक्षण देने का समर्थन किया लेकिन उन्हें बंदूक रखने की इजाजत देने से इंकार कर दिया। लेकिन भारत के कम्युनिस्ट रूस व चीन के कम्युनिस्टों से भी आला दर्जे के है। भारत के मार्क्सवादियों यानि कि सीपीएम ने हमेशा से ही नागरिकों को बंदूक चलाने का प्रशिक्षण देने का विरोध किया। . भारत में राईट टू रिकॉल पार्टी एक मात्र राजनैतिक पार्टी है जिसने नागरिकों को हथियार रखने की छूट देने तथा निर्दिष्ट नियमों के तहत हथियार रखने की अनिवार्यता के कानून का समर्थन किया है, तथा इसके लिए कानूनी ड्राफ्ट की प्रक्रिया भी दी है। इसीलिए मेरा कार्यकर्ताओ से आग्रह है कि वे कांग्रेस/बीजेपी/आम पार्टी का पीछा छोड़ दें और राईट टू रिकॉल पार्टी के एजेंडे पर कार्य करें। शेष सभी राजनैतिक पार्टियां और समूह नागरिकों को हथियार विहीन ही रखना चाहती है। साथ ही हमारा आग्रह है कि भारत के नागरिकों तक यह जानकारी भी पहुंचाए कि हथियारबंद नागरिक समाज के फायदे नुकसान की तुलना में कहीं ज्यादा है। . ____________________________
Manipur
आप अंदाजा लगा सकते है कि, नागरिको को हथियार विहीन रखने के पक्ष में तर्क रखने वाले लोग कितने बुद्धिमान होते है !! और इनकी बुद्धिमानी का तावान आज मणिपुर के हथियारविहीन लोग चुका रहे है। 2012 में यह तावान कुकी जनजाति के लोग बर्मा से भारत में घुसे। उनके पास हथियार थे। भारत के लोग हमेशा से इस बात में मानते है कि, यदि कोई हथियारबंद गिरोह या अपराधी उन पर हमला करते है तो भारतीय पुलिस एवं सेना तत्काल रूप से प्रकट होकर उन्हें बचा लेगी। अत: मणिपुर के ज्यादातर भारतीय नागरिको के पास आत्मरक्षा के लिए बंदूके नहीं थी।
लेकिन पुलिस एवं सेना देर से पहुंची -- काफी देर से !! उनके देरी से पहुँचने की वजह कुछ भी हो सकती है। या तो वे इस तरह की त्वरित प्रतिकिया करने के लिए पर्याप्त रूप से सक्षम नहीं है, या फिर नेताओ को मिशनरीज / कुकी द्वारा घूस के रूप में मोटी राशि दे दी गयी थी।
नतीजे में 54 मणिपुरी मारे गए। यह आधिकारिक आंकड़ा है। किन्तु जिस तरह की ख़बरें मिल रही है उस आधार पर अनुमान है कि वास्तविक संख्या इससे काफी ज्यादा हो सकती है -- काफी काफी ज्यादा !! दो प्रशासनिक अधिकारियों (राजस्व) को घर से बाहर घसीट कर लाया गया और उन्हें गोली मार दी गयी। एक विधायक को बुरी तरह से पीटा गया और वह अस्पताल में भर्ती है।
बर्मा से घुस आए कुकियों ने हजारो घरो को जला दिया है। दस हजार से ज्यादा लोगो को अपना घर बार छोड़कर भागना पड़ा और वे अब उत्तरी मणिपुर के राहत केम्पो में पड़े हुए है। और इनमें से ज्यादातर लोग अब फिर से अपने इलाके में नहीं लौटना चाहते। ये लोग अब अन्य जगहों जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश, मुंबई आदि में बसना चाहते है, किन्तु मणिपुर नहीं जाना चाहते। असम के कोकराझार शहर के लोगो ने चुकाया था, और 1989 में कश्मीरी पंडितो ने !!
कुकी नागालेंड की एक जनजाति है जो कि भारत, बर्मा, बांग्लादेश में सदियों से निवास कर रही है। बांगलादेश ने अपने देश से सभी कुकी को खदेड़ दिया है।
तो बर्मा के कुकी भारत में घुसे और उन्होंने पहले यहाँ जमीने खरीदी। फिर उन्होंने अपने वोटर कार्ड और आधार कार्ड बनवाए। हालांकि वाजपेयी ने 1998 के चुनाव प्रचार में NRC लाने का वादा किया था, और उन्होंने सरकार भी बना ली थी।
आरएसएस ने यह वादा करने के बाद 5 बार सरकार बनायी और आज 7 + 5 + 4 = 16 साल तक सरकार में रहने के बाद भी भारत के एक भी आदमी के पास नागरिकता कार्ड नहीं है !!! (मतलब इस दौरान उन्होंने हिन्दुओ को "जगा जगा कर" 5 बार सरकार बना ली !! और हर बार उन्होंने ज्यादा हिन्दुओ को जगाया और ज्यादा सीटो के साथ सत्ता में आए !!!
समाधान
समाधान जागना और जगाना नहीं है !! समाधान नेता और पार्टी भी नहीं है। समाधान क़ानून है। अच्छे क़ानून।
क़ानून सुधरेंगे तो ही देश सुधरेगा।
इस समस्या के समाधान के लिए हमारे द्वारा प्रस्तावित क़ानून निम्नलिखित है। इन कानूनों के आने से इस तरह की घटना भारत के सीमावर्ती इलाको में दुबारा नहीं होगी।
(1) NRCI ; राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर
इस प्रस्तावित क़ानून में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (National Register for Citizens of India) बनाने की प्रक्रिया दी गयी है। गेजेट में प्रकाशित होने के साथ ही नागरिकता रजिस्टर बनने की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी।
असम में NRC का जो ड्राफ्ट लागू किया गया था, उसमें गंभीर विसंगितियाँ एवं कमियां थी। उदाहरण के लिए असम का NRC न तो अवैध रूप से रह रहे आर्थिक विदेशियों को चिन्हित करता है, और न ही उन्हें डिपोर्ट करने की कोई व्यवस्था देता है। दुसरे शब्दों में, CAA एवं असम में किये गए NRC ने इस समस्या का समाधान नहीं किया है, बल्कि इस तरह की प्रोपेगेंडा खड़ा कर दिया है कि इस समस्या को सुलझा लिया गया है।
हमारे द्वारा प्रस्तावित NRCI में इस तरह के प्रावधान किये गए है कि यह कानून आने के 1 वर्ष के भीतर सभी अवैध आर्थिक विदेशी या तो डिपोर्ट कर दिए जायेंगे या फिर स्वयं ही अपने मुल्कों में लौट जायेंगे।
NRCI का पूरा ड्राफ्ट यहाँ से डाउनलोड कर सकते है - 14.NRCI.Rrp - Google Drive This browser version is no longer supported. Please upgrade to a supported browser. Dismiss https://drive.google.com/drive/folders/1jYTs4J2XwFspOe-psfHl3Cjz9ojo5szq
(2) सीमावर्ती इलाको में कूर्ग का गन लॉ लागू करने हेतु जनमत संग्रह कराया जाए।
सरकार द्वारा छापा गया 1963 का नोटिफिकेशन कर्नाटक के कूर्ग जिले के प्रत्येक मूल निवासी को बिना लाइसेंस बंदूक रखने का अधिकार देता है। भारत के शेष जिलो में रहने वाले नागरिको को यदि अपनी एवं अपने परिवार की सुरक्षा के लिए बंदूक खरीदनी हो तो उन्हें सरकार से लाइसेंस लेने की जरूरत होती है।
हमारा प्रस्ताव है कि सीमावर्ती इलाको के जिलो में इस आशय का जनमत संग्रह करवाया जाना चाहिए कि क्या उनके जिले में कूर्ग का बंदूक क़ानून लागू किया जाये या नहीं। यदि जनमत संग्रह में किसी जिले के 55% नागरिक हाँ दर्ज कर दें तो पीएम या सीएम अमुक जिले में यह क़ानून लागू करने का फैसला ले सकते है।
जिन जिन जिलो में यह क़ानून जनमत संग्रह में पास हो जाएगा, यह तय है कि कुकी या बंगलादेशी घुसपेठीए अमुक जिलो के शहरियों पर हमले करने की हिम्मत दिखाने से परहेज करेंगे।
तो मेरे विचार में इस हिंसा के जिम्मेदार वे बुद्धिमान एक्टिविस्ट है जिन्होंने अपने राजनैतिक विमर्श को इस नेता ने कल क्या कहा और उस नेता ने कल क्या भाषण दिया तक सीमित करके रखा हुआ है।
वे या तो तेरा नेता खराब मेरा नेता अच्छा का सर्कस चलाने में व्यस्त रहते है, या फिर इस तरह की घटनाएं घटने पर सोशल मीडिया पर आकर या तो संवेदनाएं बेचते है या फिर शान्ति बनाए रखने का ज्ञान देते है। लेकिन वे उन कानूनों की चर्चा एवं मांग कभी नहीं करते जिनके गेजेट में आने से अमुक समस्या का समाधान किया जा सकता है।
RSS को मैं इसके लिए विशेष रूप से जिम्मेदार नहीं ठहराऊंगा। क्योंकि वे लोग एक राजनैतिक पार्टी चलाते है और वोटो की खेती करने के कारोबार में है। और इस तरह के मुद्दों को उठाकर जितने वोट काटे जा सकते है, उतने वोट समस्या का समाधान करके नहीं लिए जा सकते।
और कोंग्रेस एवं आम आदमी पार्टी को तो इसके लिए जिम्मेदार ठहराया ही नहीं जा सकता। उनकी तरफ से पूरे बर्मा और बांग्लादेश के घुस्पेठीए भारत में आकर बस सकते है। ये लोग उन्हें इस शर्त पर वोटर कार्ड बनवा कर देने का वादा करते है, कि वे उन्हें वोट करें।
Changej Khan
Chengez Khan killed all, but he never killed engineers !!! . Chengez Khan --- with mere swords, arrows and horses, and with NO fighter planes, tanks, atom bombs and not even cannons or guns --- killed almost as many people as world war 2 !!!! Back then , population of world was below 80 crore !!! And Chengez Khan killed 5 crore people !!! in WW2 , world population was 300 crore and number of deaths in WW2 were abound 6 crore. So Chagez Khan was almost close and much much higher on % basis. And much higher, if one sees the fact he had only ordinary weapons and no advanced weapons. . But he rarely killed engineers , technicians and craftsman (craftsman, not artists) !!! . He once captured city if Merv in Iran. The population was 5 lakhs, which makes it a megacity by standard of those days. He ordered slaughter of ALL , except some 500 engineers !! . http://www.dailymail.co.uk/home/books/article-2679923/Bow-die-ocean-BLOOD-Why-Genghis-Khan-throat-slitter-supreme-nastier-thought.html . "Genghis now turned his attention to Merv, an oasis city of mosques and mansions. Its ten libraries contained 150,000 volumes, the greatest collection in Central Asia. The Mongols entered the city and after separating 400 craftsmen and a crowd of children to act as slaves, drove the remaining population on to the plain." . The word craftsman means engineers, technicians etc. Not only Changez Khan didnt kill engineers , he used to make them equal citizens , not slaves. And he also spared family members of engineers etc. He used to give them better deals than they used to. .. You can guess the reasons why Changez didnt kill engineers etc. . Because engineers make weapons. . Changez Khan was illiterate !! He had NO primary school education, forget university education. But it appears that he had a great common sense. He could see that engineering , particularly weapon making, is more useful than arts, rituals, dances, music, creative writings and other things. . USA too when it captured Germany, didnt kill scientists and engineers. And gave them US citizenship. Once German scientists who made missiles which killed several Britons and a quire a few Americans was Warner Brown. After a few days of imprisonment, USA gave him US citizenship !!! Warner Brown was principal scientist in making rockets at NASA which sent several satellites in orbits and also sent man on moon (which we now know was hoax). . Engineering doesnt improve much by college education and finances, Engineering improves by to competition and low-harassment environments. i.e. a factory owner should face minimal harassment from govts / society , and at the same time, he should NOT have liberty to exploit his own labor, because one of the labor is going to become his competitor and give more benefits to society. So harassment to factory owner worsens present of the society . but giving oppurtunity to factory owner to over exploit his labor worsens FUTURE of the society !! So question is what legal structure will reduce harasssment on factory owner and at the same time reduce his ability to exploit his labours?
- changez
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- genghis
Positive Point of KoorgGunLawReferendun
Why imo koorg law referendun will imo reduce total 'preventable' deaths, even when KLR might increase murders.imo . Say KLR passes and all get 2 pistols and 2 ak47. Say murder rate in Bharat increases to as high as usa. That means say 60000 more murders per years
But total prevebtable deaths imo may decrease.
(1) Now if all had guns, lockdown deaths may have been much lower or zero. So that's about 20 lakh lives saved
(2) if all had guns, forced vax would have been near zero. So there may have been much fewer vax deaths. Some 2 crore may have died due to vax. So that's about 1 crore lives saved
(3) guns4all promotes elitemen to ensure that all get food. That's again a few lakh lives saved. Gun4all promotes elitemen to reduce poverty. And poverty kills lakhs.
(4) guns4all promotes elitemmen to improve court speed. That reduces economic inefficiency and that too translates in some lives saved
(5) in case war, gunlessness means total enslavement or huge loss of lives and property. That can be crores of lives saved.
So gun4qll imo may increase net life expentency even though total murders may increase
And gun murders can be decreased by narcotest in public