कैसे विदेशी धानिक वर्ग Decoy System का उपयोग करके भारत की स्थिति में कोई बेहतर बदलाव नहीं आने दे रहा?

जब असली मुद्दों से ध्यान हटाना होता है, तब बहुत से बुद्धिजीवियों को फंड किया जाता है ताकि वो झूठे या भटकाने वाले कारणों पर बात करें। (Decoy System)

1: चीनी में मिलाए जा रहे खतरनाक केमिकल्स से ध्यान हटाने के लिए डाइटिशियन चीनी को ही पूरी तरह दोषी ठहरा देते हैं।

2: गेहूं के बीजों में हो रहे लेबोरेटरी या जेनेटिक बदलाव से ध्यान हटाने के लिए, वही लोग ग्लूटन और गेहूं को ही विलेन बना देते हैं।

राजनीति में तो इसकी चरम सीमा है।

जैसे कि जब अमेरिका और भारत की तुलना में जब असली मुद्दों पर बात होनी चाहिए — जैसे जूरी सिस्टम, Recall, जजों का सीधा चुनाव, पुलिस प्रमुख का चुनाव, रेफरेंडम, और गन अधिकार — तब हमारे देश के 'पोलिटिकल पंडित' कहते हैं: “अमेरिका में रूल ऑफ लॉ है”, “वहाँ की राजनीतिक संस्कृति अच्छी है”, “वहाँ राष्ट्रपति प्रणाली है”, “दो पार्टी सिस्टम है”, “पार्टी में अंदरूनी लोकतंत्र है” आदि।

इन सब बातों से ध्यान असली कानूनों से हट जाता है जो वास्तव में देश की राजनीति को बदल सकते हैं।

समाधान क्या है?

जब भी किसी से राजनीतिक चर्चा करें तब सबसे पहले यह सवाल पूछना चाहिए: "आप जो चीज़ बदलना चाहते हैं उसको बदलने के लिए कृपया कानून का ड्राफ्ट दिखाइए, कौन सा कानून बदलना है?"

और जितने ज्यादा कानूनों को पढ़ा जा सके, उतना पढ़ना चाहिए — और दूसरों को भी कहें कि कानून का ड्राफ्ट देखकर ही बात करें।

देश लोगों से नहीं, कानूनों से बदलता है। लोग तब सुधरते हैं जब सिस्टम उन्हें सुधरने पर मजबूर करता है।

सिस्टम बदलता है कानूनों से।

इसलिए असली बात करो — कानूनों की। हर समस्या के पीछे कोई ना कोई गलत कानून छिपा होता है और हर समाधान किसी ने किसी अच्छे कानून से आता है l जब भी आप कोई समस्या उठाई तो उसके समाधान के लिए अच्छा सकारात्मक ड्राफ्ट युक्त कानून जरूर खोजिए