भारत में शासन एवं नागरिकों के बीच संवाद करने की अधिकृत एवं पारदर्शी प्रक्रिया न होने के कारण नागरिक अपनी मांग, सुझाव आदि पीएम या सीएम तक नहीं पहुंचा पाते, और विभिन्न अनाधिकृत एवं बेतरतीब तरीको का सहारा लेने के लिए बाध्य होते है। इस कानून के आने के बाद ज्यादातर नागरिकों को किसी फैसले का समर्थन एवं विरोध करने के लिए या अपनी मांग रखने के लिए सड़कों पर आकर मजमा लगाने की जरूरत नहीं रह जायेगी। टीसीपी आने के बाद नागरिक अधिकृत रूप से अपनी मांग सरकार एवं जनता के सामने रख सकेंगे, और मतदाता किसी भी मांग पर अपनी सहमती या असहमती दर्ज कर सकेंगे ।
मैं सभी भारतीय नागरिकों से अनरोध करता हूं कि वे प्रधानमंत्री पर निम्नलिखित अधिसूचना पर हस्ताक्षर करने का दबाव डालें:
अधिसूचना का ड्राफ्ट इस प्रकार है:-
टीसीपी: पारदर्शी शिकायत प्रणाली (TCP: Transparent Complaint Proocedure)
टिप्पणी: यह कानून भारत के राजपत्र में छापकर प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री द्वारा सीधे लागू किया जा सकता है। इसके लिए लोकसभा, राज्यसभा या विधानसभा से अनुमति की आवश्यकता नहीं है।
खंड 1: नागरिकों एवं अधिकारियों के लिए निर्देश
- यह कानून आपको (यहाँ 'आप' से आशय है—भारत का मतदाता) यह अधिकार देता है कि वे अपने जिला कलेक्टर कार्यालय में उपस्थित होकर कोई भी शपथपत्र जमा करवा सकें।
- यह शपथपत्र आपकी कोई शिकायत, सुझाव, RTI आवेदन, ताजातरीन कानून, या अन्य कोई याचना हो सकती है।
- शपथपत्र जमा करते समय आपको प्रति पृष्ठ ₹20 शुल्क अदा करना होगा।
- कलेक्टर कार्यालय एक विशेष सीरियल नंबर जारी करेगा।
- शपथपत्र को स्कैन कर प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा ताकि कोई भी नागरिक बिना लॉगिन के इसे देख सके।
- कोई भी मतदाता किसी भी दिन पटवारी कार्यालय जाकर शपथपत्र नंबर का उल्लेख करते हुए उस पर अपनी हाँ / ना दर्ज कर सकता है।
- मतदाता द्वारा दर्ज हाँ/ना को नाम और मतदाता संख्या सहित सार्वजनिक रूप से वेबसाइट पर दिखाया जाएगा।
- हाँ/ना दर्ज करने या बदलने के लिए शुल्क लिया जाएगा – BPL कार्डधारकों के लिए ₹1 और अन्य नागरिकों के लिए ₹3।
- मतदाता किसी शपथपत्र पर हाँ/ना को किसी भी दिन कितनी भी बार बदल सकता है।
- महत्वपूर्ण जानकारी: किसी शपथपत्र पर दर्ज की गई हाँ / ना की गिनती प्रधानमंत्री, किसी मंत्री, अधिकारी या अदालत पर बाध्यकारी नहीं होगी।
- यदि भारत के 45 करोड़ से अधिक मतदाता किसी शपथपत्र पर हाँ दर्ज करते हैं, तो प्रधानमंत्री उस शपथपत्र में उल्लिखित कार्यों के पालन के लिए आवश्यक निर्देश जारी कर सकते हैं – या ना भी करें।
- प्रधानमंत्री चाहें तो इस्तीफा भी दे सकते हैं या ना भी दें।
- इस संदर्भ में प्रधानमंत्री का निर्णय अंतिम होगा।
- धारा 1 में शपथपत्र देने के लिए कलेक्टर आपसे मतदाता पहचान पत्र, आधार कार लाने को कह सकता है, साथ ही आपकी फोटो और फिंगरप्रिंट भी ले सकता है।
- एक बार शपथपत्र फ़ाइल करने के बाद उसे हटाया नहीं जा सकता, सिवाय अदालत के आदेश के।
- यदि शपथपत्र में अनुचित या मानहानिकारक जानकारी होती है, तो अदालत में वाद दायर किया जा सकता है और दोष सिद्ध होने पर सजा हो सकती है।
- आपको भारत भर में दर्ज सभी शपथपत्रों पर हाँ / ना दर्ज करने की आवश्यकता नहीं है।
- यह आपकी इच्छा पर निर्भर है कि आप किन शपथपत्रों पर विचार करना चाहते हैं।
- किसी भी शपथपत्र पर हाँ / ना दर्ज करने पर आपको कोई दंड नहीं मिलेगा – भले ही वह शपथपत्र अनुचित या निंदात्मक हो।
- आप अपना मोबाइल नंबर मतदाता सूची का रखरखाव करने वाले कर्मचारी को दर्ज करवा सकते हैं।
- यह नंबर आपके नाम पर या परिवार के किसी सदस्य के नाम पर होना चाहिए।
- यदि आपने नंबर दर्ज करवाया है तो जब भी आप शपथपत्र फ़ाइल करें या हाँ / ना दर्ज करें, तो आपको SMS फीडबैक मिलेगा।
- यदि कोई अन्य व्यक्ति आपके नाम पर धोखाधड़ी से शपथपत्र फ़ाइल करता है या हाँ / ना दर्ज करता है, तो भी SMS मिलेगा और आप पुलिस में शिकायत कर सकते हैं।
- आपको वोटर कार्ड जैसा एक :मैग्नेटिक कार्ड (ATM कार्ड जैसा) दिया जा सकता है।
- तलाटी कार्यालय में एटीएम जैसी मशीन लगाई जा सकती है, जहाँ आप कार्ड से शपथपत्र नंबर डालकर हाँ / ना दर्ज कर सकें।
- सुविधा मिलने पर, हर हाँ / ना दर्ज करने या बदलने पर ₹1 शुल्क देना होगा।
- कलेक्टर ऐसा सिस्टम बना सकते हैं जिससे आप SMS या मोबाइल ऐप के माध्यम से हाँ / ना दर्ज कर सकें।
- इस सुविधा के लिए शुल्क का निर्धारण जिला कलेक्टर द्वारा किया जाएगा।
खंड 2: अधिकारियों के लिए निर्देश
- नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) के सचिव को आदेश जारी किए जाते हैं कि वे आवश्यक वेबसाइट एवं तकनीकी संरचना विकसित करें ताकि कलेक्टर उपरोक्त धाराओं को लागू कर सकें।
- मुख्यमंत्री, मेयर, जिला / तहसील / ग्राम सरपंच इस कानून में आवश्यक परिवर्तन करके इसे अपने राज्य, नगर, जिले, तहसील या ग्राम स्तर पर लागू कर सकते हैं।
टीसीपी कानून किस तरह से काम करेगा?
- मूल समस्या: भारत में शासन एवं नागरिकों के बीच संवाद की अधिकृत और पारदर्शी व्यवस्था नहीं होने के कारण नागरिक अपनी मांगें, सुझाव आदि पीएम या सीएम तक नहीं पहुँचा पाते, उन्हें बेतरतीब, अनाधिकारिक तरीकों का सहारा लेना पड़ता है।
- TCP आने के बाद:
- सड़कों पर प्रदर्शन की आवश्यकता नहीं रहेगी।
- नागरिक अधिकृत और सार्वजनिक रूप से अपनी राय रख सकेंगे।
- मतदाता हाँ / ना दर्ज करके समर्थन / विरोध जताएंगे।
- ज्ञापन से TCP अलग क्यों?
- ज्ञापन बंद लिफाफे में भेजा जाता है — केवल 3 लोग जानते हैं: आप, कलेक्टर, पीएम।
- TCP में मांग सार्वजनिक रूप से वेबसाइट पर अपलोड होती है।
- आप सोशल मीडिया, पेम्पलेट, वीडियो आदि से अधिक नागरिकों तक अपनी मांग पहुँचा सकते हैं।
- सोशल मीडिया काफी क्यों नहीं?
- सोशल मीडिया निजी राय है — सरकार द्वारा मान्य नहीं।
- कोई भी फर्जी ID बनाकर गलत जानकारी फैला सकता है।
- TCP में जानकारी हटाना संभव नहीं — जब तक अदालत आदेश न दे।
- पेड मीडिया व पार्टियाँ TCP के विरोध में क्यों?
- वे भीड़ और संसाधनों से सड़कों पर माहौल बनाते हैं।
- TCP इनसे जनता की राय अभिव्यक्त करने का अधिकार छीन लेता है।
इस कानून को गज़ेट में प्रकाशित करवाने के लिए क्या करें?
- नाम-पता लिखें, 4 रुपये का डाक टिकट चिपकाएं, और 5 तारीख को शाम 5 बजे लेटर बॉक्स में डालें।
- "प्रधानमंत्री जी से मेरी मांग" नाम से रजिस्टर बनाएं, जिसमें पत्र की कॉपी चिपकाएं और संग्रहित रखें।
- फेसबुक पर "प्रधानमंत्री जी से मेरी मांग" नाम से एल्बम बनाएं और रजिस्टर में चिपकाए गए पेज वहाँ अपलोड करें। #प्रधानमंत्री को पोस्टकार्ड या ट्वीट करें: प्रधानमंत्री जी, टीसीपी कानून गज़ेट में छापें – #TcpIndiaRrp
- 5 तारीख को शाम 5 बजे भेजना क्यों ज़रूरी?
- सामूहिक प्रभाव और गणना में सुविधा।
- पोस्ट ऑफिस स्टाफ को परेशानी न हो।
- हेड पोस्ट ऑफिस का बॉक्स प्राथमिकता हो — बड़ा और सुविधाजनक।
- हर माह के दूसरे रविवार को शाम 4 बजे सार्वजनिक स्थानों पर बैठक कर सकते हैं — जैसे मंदिर, स्टेशन परिसर।
- यह अहिंसात्मक जन आंदोलन महात्मा उधम सिंह से प्रेरित है।
- इसका नेतृत्व धारा 10 का ड्राफ्ट करता है।
- नागरिक स्वतंत्र रूप से इस बुकलेट को छपवा कर बाँट सकते हैं।
- चुनावों में भाग लें या समर्थन दें उन उम्मीदवारों को जो इस कानून को एजेंडे में शामिल करें।
- ✍️ Author’s Note
> Anyone can freely print, distribute & circulate this doc without modification. > Modification is not permissible. > — Rahul Chimanbhai Mehta & Pawan Kumar Sharma >